BA Semester-3 Sanskrit - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरण - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरण

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2652
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-3 संस्कृत नाटक एवं व्याकरण

प्रश्न- अश्वघोष के जीवन परिचय का वर्णन कीजिए।

उत्तर -

अश्वघोष की कृति सौन्दर्यनन्द के अनुशीलन से हमें ज्ञात होता है कि वे साकेत (अयोध्या) के निवासी थे। उनकी माता का नाम सुवर्णाक्षी था। महाकवि, बौद्धभिक्षु, आचार्य मदत्त एवं महावादी आदि उपाधियों से वे विभूषित थे। उनके ग्रन्थों में वर्णित तथ्यों से पता चलता है कि उनका जन्म ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उन्होंने ब्रह्मणोचित उच्च शिक्षा प्राप्त की थी। अपने शिक्षा काल में उन्होंने वेद, पुराण, दर्शन आदि का गम्भीर दर्शन किया था। उनका ज्ञान अत्यन्त प्रौढ़ एवं सर्वतोमुखी था। वे महान प्रतिभाशाली, मेधावी तथा स्वतन्त्र विचार के मनीषी थे, वे ब्राह्मण धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्मानुयायी कैसे बने, इस सम्बन्ध में एक किवदन्ती है, जो कुमार जीव द्वारा चीनी भाषा में लिखित उनके जीवनचरित में प्राप्त होती है तथा जिसका उल्लेख वील महोदय ने भी किया है। वह इस प्रकार है-

एक बार बौद्ध आचार्य पार्श्व परिश्रमण करते हुए मध्य प्रदेश पहुँचे। वहाँ उन्हें पता चला कि अश्वघोष की विद्वता के सामने सभी बौद्ध पण्डित नतमस्तक हैं। फिर क्या था, पार्श्व स्वयं अश्वघोष से शास्त्रार्थ करने लगे। शास्त्रार्थ में पार्श्व की अकाट्य उक्तियों से वैदिक धर्मानुयायी आचार्य अश्वघोष इतना अधिक प्रभावित हुए कि उन्होंने बाद में पार्श्व की शिष्यता ग्रहण कर ली। इस तरह बौद्ध धर्म में दीक्षित होने के पश्चात् अश्वघोष ने बौद्ध दर्शन का गहन अध्ययन किया। इसके बाद निसर्गतः कवि एवं संगीत में मर्मज्ञ अश्वघोष संगीत मण्डलियों के दल के साथ बौद्ध धर्म के प्रचारार्थ इधर-उधर भ्रमण करके राजपूतों तथा अन्य लोगों को बौद्ध धर्म में दीक्षित करने लगे। कहते हैं कि उनकी वाक्शक्ति से प्रभावित होकर घोड़े भी अपना आहार छोड़ देते थे। इसी आधार पर उनका नाम अश्वघोष पड़ा।

ह्वेनसांग नामक चीनी यात्री सम्राट हर्ष के समय सातवीं शती के प्रारम्भ में भारत आया था। उसने वर्णित किया है कि अश्वघोष, देव, नागार्जुन और कुमारलब्ध थे चार सूर्य हैं जिन्होंने विश्व को प्रकाशित किया। सातवीं शती के अन्त में चीनी यात्री इत्सिंग भारत आया था। उसने भी उल्लेख किया है कि उस समय बौद्ध मने में अश्वघोष की रचनाओं का गान हुआ करता था।

'भारतीय इतिहास का उन्मीलन' नामक ग्रन्थ जयचन्द्र विद्यालंकार ने लिखा। उसके अनुसार- कनिष्क ने जब साकेत जीतने के अनन्तर पाटलिपुत्र पर चढ़ाई की और वहाँ के राजा को हराया तब उसने राजा से सात लाख रुपये का हर्जाना माँगा लेकिन उस समय बौद्ध कवि अश्वघोष को और भगवान बुद्ध के कमण्डल को पाकर वह प्रसन्न हो गया तथा लौट आया।"

अश्वघोष के सम्बन्ध में ह्वेनसांग ने एक रोचक कथा वर्णित की है जो इस प्रकार है- एक ब्राह्मण मुख पर आवरण डाले धर्म की चर्चा किया करता था। उससे सब डरते थे और उसकी बात मान लेते थे। अश्वघोष ने जब उसकी बात सुनी तो उन्होंने अपना विचार प्रकट किया कि वह ब्राह्मण बिना गुरु के विद्वान बना है, प्राचीन ग्रन्थों का अनुशीलन किये बिना ही पारंगत हो गया है। अंधेरी भूमि में एकान्त वास करके यह ऊँची ख्याति प्राप्त रहा है। यह सब अदृष्ट तान्त्रिक शक्ति की सहायता से ही सम्भव हो रहा है। मैं उसके निवास स्थान पर जाकर देखूँगा तथा रहस्य का उद्घाटन करूँगा। महाराज की आज्ञा से अश्वघोष ने ऐसा ही किया। वहाँ उस ब्राह्मण से त्रिपिटक की चर्चा की और पञ्चविद्या से उद्धरण दिये। वह ब्राह्मण चुप रह गया। तब अश्वघोष ने कहा थोथी प्रसिद्धि अस्थायी होती है" इस घटना से महाराज बहुत प्रसन्न हुए। उन्होंने कहा "गुरु के बिना कौन अज्ञानियों की त्रुटियाँ बता सकता है" मनुष्यों को पहचानने वाले व्यक्ति की प्रतिभा पूर्वजों की कीर्ति बढ़ाती है और आगे आने वाली सन्तति के लिए लक्ष्य का कार्य करती है इस वर्णन से भारत के उस समय के सांस्कृतिक एवं साहित्यिक इतिहास में अश्वघोष की महानता का पता चलता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भास का काल निर्धारण कीजिये।
  2. प्रश्न- भास की नाट्य कला पर प्रकाश डालिए।
  3. प्रश्न- भास की नाट्य कृतियों का उल्लेख कीजिये।
  4. प्रश्न- अश्वघोष के जीवन परिचय का वर्णन कीजिए।
  5. प्रश्न- अश्वघोष के व्यक्तित्व एवं शास्त्रीय ज्ञान की विवेचना कीजिए।
  6. प्रश्न- महाकवि अश्वघोष की कृतियों का उल्लेख कीजिए।
  7. प्रश्न- महाकवि अश्वघोष के काव्य की काव्यगत विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- महाकवि भवभूति का परिचय लिखिए।
  9. प्रश्न- महाकवि भवभूति की नाट्य कला की समीक्षा कीजिए।
  10. प्रश्न- "कारुण्यं भवभूतिरेव तनुते" इस कथन की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  11. प्रश्न- महाकवि भट्ट नारायण का परिचय देकर वेणी संहार नाटक की समीक्षा कीजिए।
  12. प्रश्न- भट्टनारायण की नाट्यशास्त्रीय समीक्षा कीजिए।
  13. प्रश्न- भट्टनारायण की शैली पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- महाकवि विशाखदत्त के जीवन काल की विस्तृत समीक्षा कीजिए।
  15. प्रश्न- महाकवि भास के नाटकों के नाम बताइए।
  16. प्रश्न- भास को अग्नि का मित्र क्यों कहते हैं?
  17. प्रश्न- 'भासो हास:' इस कथन का क्या तात्पर्य है?
  18. प्रश्न- भास संस्कृत में प्रथम एकांकी नाटक लेखक हैं?
  19. प्रश्न- क्या भास ने 'पताका-स्थानक' का सुन्दर प्रयोग किया है?
  20. प्रश्न- भास के द्वारा रचित नाटकों में, रचनाकार के रूप में क्या मतभेद है?
  21. प्रश्न- महाकवि अश्वघोष के चित्रण में पुण्य का निरूपण कीजिए।
  22. प्रश्न- अश्वघोष की अलंकार योजना पर प्रकाश डालिए।
  23. प्रश्न- अश्वघोष के स्थितिकाल की विवेचना कीजिए।
  24. प्रश्न- अश्वघोष महावैयाकरण थे - उनके काव्य के आधार पर सिद्ध कीजिए।
  25. प्रश्न- 'अश्वघोष की रचनाओं में काव्य और दर्शन का समन्वय है' इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  26. प्रश्न- 'कारुण्यं भवभूतिरेव तनुते' इस कथन का क्या तात्पर्य है?
  27. प्रश्न- भवभूति की रचनाओं के नाम बताइए।
  28. प्रश्न- भवभूति का सबसे प्रिय छन्द कौन-सा है?
  29. प्रश्न- उत्तररामचरित के रचयिता का नाम भवभूति क्यों पड़ा?
  30. प्रश्न- 'उत्तरेरामचरिते भवभूतिर्विशिष्यते' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  31. प्रश्न- महाकवि भवभूति के प्रकृति-चित्रण पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  32. प्रश्न- वेणीसंहार नाटक के रचयिता कौन हैं?
  33. प्रश्न- भट्टनारायण कृत वेणीसंहार नाटक का प्रमुख रस कौन-सा है?
  34. प्रश्न- क्या अभिनय की दृष्टि से वेणीसंहार सफल नाटक है?
  35. प्रश्न- भट्टनारायण की जाति एवं पाण्डित्य पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  36. प्रश्न- भट्टनारायण एवं वेणीसंहार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  37. प्रश्न- महाकवि विशाखदत्त का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  38. प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटक का रचयिता कौन है?
  39. प्रश्न- विखाखदत्त के नाटक का नाम 'मुद्राराक्षस' क्यों पड़ा?
  40. प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटक का नायक कौन है?
  41. प्रश्न- 'मुद्राराक्षस' नाटकीय विधान की दृष्टि से सफल है या नहीं?
  42. प्रश्न- मुद्राराक्षस में कुल कितने अंक हैं?
  43. प्रश्न- निम्नलिखित पद्यों का सप्रसंग हिन्दी अनुवाद कीजिए तथा टिप्पणी लिखिए -
  44. प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग - संस्कृत व्याख्या कीजिए -
  45. प्रश्न- निम्नलिखित सूक्तियों की व्याख्या कीजिए।
  46. प्रश्न- "वैदर्भी कालिदास की रसपेशलता का प्राण है।' इस कथन से आप कहाँ तक सहमत हैं?
  47. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के नाम का स्पष्टीकरण करते हुए उसकी सार्थकता सिद्ध कीजिए।
  48. प्रश्न- 'उपमा कालिदासस्य की सर्थकता सिद्ध कीजिए।
  49. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् को लक्ष्यकर महाकवि कालिदास की शैली का निरूपण कीजिए।
  50. प्रश्न- महाकवि कालिदास के स्थितिकाल पर प्रकाश डालिए।
  51. प्रश्न- 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' नाटक के नाम की व्युत्पत्ति बतलाइये।
  52. प्रश्न- 'वैदर्भी रीति सन्दर्भे कालिदासो विशिष्यते। इस कथन की दृष्टि से कालिदास के रचना वैशिष्टय पर प्रकाश डालिए।
  53. अध्याय - 3 अभिज्ञानशाकुन्तलम (अंक 3 से 4) अनुवाद तथा टिप्पणी
  54. प्रश्न- निम्नलिखित श्लोकों की सप्रसंग - संस्कृत व्याख्या कीजिए -
  55. प्रश्न- निम्नलिखित सूक्तियों की व्याख्या कीजिए -
  56. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम्' नाटक के प्रधान नायक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  57. प्रश्न- शकुन्तला के चरित्र-चित्रण में महाकवि ने अपनी कल्पना शक्ति का सदुपयोग किया है
  58. प्रश्न- प्रियम्वदा और अनसूया के चरित्र की तुलनात्मक समीक्षा कीजिए।
  59. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् में चित्रित विदूषक का चरित्र-चित्रण कीजिए।
  60. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् की मूलकथा वस्तु के स्रोत पर प्रकाश डालते हुए उसमें कवि के द्वारा किये गये परिवर्तनों की समीक्षा कीजिए।
  61. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के प्रधान रस की सोदाहरण मीमांसा कीजिए।
  62. प्रश्न- महाकवि कालिदास के प्रकृति चित्रण की समीक्षा शाकुन्तलम् के आलोक में कीजिए।
  63. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् के चतुर्थ अंक की विशेषताओं पर प्रकाश डालिए।
  64. प्रश्न- शकुन्तला के सौन्दर्य का निरूपण कीजिए।
  65. प्रश्न- अभिज्ञानशाकुन्तलम् का कथासार लिखिए।
  66. प्रश्न- 'काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला' इस उक्ति के अनुसार 'अभिज्ञानशाकुन्तलम्' की रम्यता पर सोदाहरण प्रकाश डालिए।
  67. अध्याय - 4 स्वप्नवासवदत्तम् (प्रथम अंक) अनुवाद एवं व्याख्या भाग
  68. प्रश्न- भाषा का काल निर्धारण कीजिये।
  69. प्रश्न- नाटक किसे कहते हैं? विस्तारपूर्वक बताइये।
  70. प्रश्न- नाटकों की उत्पत्ति एवं विकास क्रम पर टिप्पणी लिखिये।
  71. प्रश्न- भास की नाट्य कला पर प्रकाश डालिए।
  72. प्रश्न- 'स्वप्नवासवदत्तम्' नाटक की साहित्यिक समीक्षा कीजिए।
  73. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के आधार पर भास की भाषा शैली का वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के अनुसार प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  75. प्रश्न- महाराज उद्यन का चरित्र चित्रण कीजिए।
  76. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् नाटक की नायिका कौन है?
  77. प्रश्न- राजा उदयन किस कोटि के नायक हैं?
  78. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के आधार पर पद्मावती की चारित्रिक विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  79. प्रश्न- भास की नाट्य कृतियों का उल्लेख कीजिये।
  80. प्रश्न- स्वप्नवासवदत्तम् के प्रथम अंक का सार संक्षेप में लिखिए।
  81. प्रश्न- यौगन्धरायण का वासवदत्ता को उदयन से छिपाने का क्या कारण था? स्पष्ट कीजिए।
  82. प्रश्न- 'काले-काले छिद्यन्ते रुह्यते च' उक्ति की समीक्षा कीजिए।
  83. प्रश्न- "दुःख न्यासस्य रक्षणम्" का क्या तात्पर्य है?
  84. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणी लिखिए : -
  85. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिये (रूपसिद्धि सामान्य परिचय अजन्तप्रकरण) -
  86. प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिये।
  87. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (अजन्तप्रकरण - स्त्रीलिङ्ग - रमा, सर्वा, मति। नपुंसकलिङ्ग - ज्ञान, वारि।)
  88. प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिए।
  89. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (हलन्त प्रकरण (लघुसिद्धान्तकौमुदी) - I - पुल्लिंग इदम् राजन्, तद्, अस्मद्, युष्मद्, किम् )।
  90. प्रश्न- निम्नलिखित रूपों की सिद्धि कीजिए -
  91. प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूपसिद्धि कीजिए।
  92. प्रश्न- निम्नलिखित सूत्रों की व्याख्या कीजिए (हलन्तप्रकरण (लघुसिद्धान्तकौमुदी) - II - स्त्रीलिंग - किम्, अप्, इदम्) ।
  93. प्रश्न- निम्नलिखित पदों की रूप सिद्धि कीजिए - (पहले किम् की रूपमाला रखें)

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